उरई (जालौन)। शासन द्वारा संचालित महत्वकांक्षी योजना मनरेगा में रोजगार देने के नाम पर बड़े स्तर पर कदौरा ब्लॉक में फर्जीवाड़ा हो रहा है। इस फर्जीवाड़े में बीडीओ के साथ साथ ग्राम पंचायतों के सचिव, प्रधान, तकनीकी सहायकों, रोजगार सेवकों की भूमिका संदेह के घेरे में है। यही कारण है कि गांव में रोजगार न मिलने के कारण मजदूर दूसरे प्रदेशों और जिलों में मजदूरी के लिए पलायन करने में लगे हुए है। अधिकारियों की लापरवाही के चलते शासन द्वारा संचालित योजना का लाभ पात्रों को नहीं मिल पा रहा है।
गौरतलब है कि ब्लॉक क्षेत्र के ग्राम पंचायत मदरालालपुर में सीताराम, देवीदीन, मोहरसिंह, नत्थू, गुड्ढो, जब्बार खान के खेत मेड़बन्दी समतलीकरण और सजीवन के खेत में बंधा निर्माण के नाम पर 366 श्रमिकों को कार्य करते दिखाया गया है। पाली में दिलीप कुमार, सुगर सिंह, बलवीर, पप्पू और विजय के खेत में नाम पर 241 श्रमिक लगे हुए है। वहीं सौंधी गांव में 363 श्रमिकों को तपती धूप में कार्य करते दिखाया जा रहा है। भागवती, उमेशचंद्र, मुरलीधर, राजेंद्र, संदीप, अकरम अली, इरशाद, यूसुफ के खेतों में मेड़बन्दी समतलीकरण के नाम पर कार्य करते दिखा कर फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। मजदूरों का कहना है कि गांव में रोजगार नहीं मिल रहा है इसलिए परिवार के भरण पोषण के लिए वह परिवार सहित ईट भट्टों में जा रहे है। कई बार रोजगार मांगा लेकिन आश्वासन देकर टरका दिया जाता है। अन्य प्रदेशों में रहने वाले ग्रामीणों के जॉब कार्ड में फर्जी तरह से मजदूरी का पैसा डाल कर बंदरबाद किया जा रहा है। क्षेत्रीय ग्रामीणों आरोप लगाया कि मनरेगा योजना में फर्जीवाड़ा करने वालों को बीडीओ संरक्षण दिए हुए है। बीडीओ को अपने कथित कमीशन से मतलब रहता है। प्रधानों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि बीडीओ को एडवांस कमीशन न देने पर गांव में कराए गए विकास कार्यों की जांच कराने की धमकी दी जाती है। जिले के अधिकारियों से शिकायत करो तो वह जांच बीडीओ को दे देते है। जिस पर बीडीओ खुन्नस के चलते आर्थिक दोहन करते हैं।
गबन में मनरेगा लोकपाल ने बीडीओ को जारी किया था कारण बताओ नोटिस, विवादों से पुराना नाता
उरई। कदौरा बीडीओ का विवादों से पुराना नाता है, शासन द्वारा संचालित योजनाओं में आने वाली धनराशि का गबन करना और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने में महारत हासिल है। विगत दिनों जनपद पीलीभीती के पूरनपुर ब्लॉक में लाभार्थी के नाम पर दूसरे अपात्र को पशुशेड का लाभ दिया था। साथ ही बीडीओ ने धनराशि का बंदरबाट करते हुए 1.62 लाख रुपये का भुगतान भी कर दिया था। लाभार्थी की शिकायत पर मनरेगा लोकपाल ने जांच की थी। जांच में तत्कालीन बीडीओ अरुण कुमार सिंह दोषी पाया गया था। जिस पर मनरेगा लोकपाल गेंदनलाल ने डॉक द्वारा बीडीओ को कारण बताओ नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा था। जिसकी खबरें अखबारों में प्रकाशित हुई थी। लोगों का कहना है कि बीडीओ ने कदौरा में सिंडीगेट बना कर संचालित योजनाओं को पलीता लगा रहे है। जिस कारण आए दिन मनरेगा सेल में भुगतान लगाने को लेकर विवादों की स्थिति बनी रहती है।